Sunday, December 16, 2007

उम्र अठारह महीने, शौक सिगरेट

पाजामे का नाडा बाँधने की तो बात ही छोड़िए. जनाब ठीक से तुतलाकर बोल भी नहीं सकते, लेकिन सिगरेट का धुआं ऐसे उड़ाते हैं कि बड़े से बड़े सिगरेट के शौकीन उन्हें गुरू मान लें. जनाब शोहरत भी खूब बटोर रहे हैं.16 दिसंबर के अमर उजाला मे उनकी खबर फोटो के साथ छपी है. मुरादाबाद सम्भल के फ़तेहउल्ल्ला सराय मे रहने वाले रिजवान की उमर सिर्फ़ 18 महीने है. उनकी उम्र के बच्चे खिलौने लेने की ज़िद करते हैं, लेकिन जनाब को सिगरेट न मिले तो चीख-पुकार मचाने लगते हैं. इस लिए घर वाले उनकी बीड़ी-सिगरेट उनके पास ही रखते हैं, ताकि उन्हें जब भी तलब मह्सूस होइत्मीनान से सुटटा मार सकें. सुबह उठते ही वह दूध की बोतल की जगह सिगरेट के लिए मचलने लगते हैं. कोई पास आये तो बीड़ी की तलाश में उसकी जेबें टटोलने लगते हैं. वे एक के बाद एक कई सिगरेट पी सकते हैं. ना ही सिगरेट का स्वाद उन्हें खराब लगता है और न ही सिगरेट पीते हुए उन्हें खांसी आती है.
ज़ाहिर है यह आदत वे पेट से सीखकर नहीं आये होंगे.घर -परिवार के ही किसी महानुभाव ने उन्हें यह लत लगायी होगी. यह गंदा काम चाहे जिसने भी किया हो.उसकी सज़ा क्या होगी. क्या उसे कोई सजा मिलेगी?

2 comments:

Dr. SUDHA UPADHYAYA said...

ब्रजेश भाई,
एक सपाटबयानी दर्ज करानी थी। जिस दिन इस खबर को पढ़ा था कुछ भी अटपटा नहीं लगा। ऐसा लगा जैसे कुछ भी हो सकता है। हम आप समाज के कुछेक उन लोगों में गिने जाते हैं जो संवेदनशील होने का दम भरते हैं किंतु सूचना और संचार तंत्र ने हमारी सोच को कुछ इस प्रकार प्रभावित किया है कि इस अप्रत्याशित शौक को पढ़कर भी मन में प्रतिक्रिया नहीं जगती। निश्चय ही हम बेहद शर्मनाक दौर से गुजर रहे हैं। जब हमारा आपका ये हाल है तो बाक़ी समाज की ओर से क्या कहूं?????

सुधा उपाध्याय

waseem faizi said...

aaj hum bahut bure daur se gujar rahe hai aaj hamre desh ka future apne ssara kaam ko bhool chuka hai use to bas apne doston aur cigrate se pyar hai ye anjane pan main ek aaise raste par chal chuke hai jo desh aur samaj dono ke liye ke khatra hai