Monday, November 26, 2007

कबीर के अवतार

कबीर दास ने धार्मिक पाखंड और अवतारवाद का खंडन किया और निर्गुण-निराकार की उपासना पर जोर दिया। लेकिन बाद में कुछ संतों द्वारा खुद को कबीर का अवतार घोषित करने के उदाहरण भी मिलते हैं। शायद ऐसा उनहोंने कबीर की परंपरा से खुद को जोड़ने के लिए किया होगा। ऐसे ही एक संत दरिया साहब का जन्म १६३४ ईसवी में बिहार के सासाराम में हुआ था। दरिया साहब भी कबीर की ही तरह निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे। उनहोंने अपने को कबीर का पांचवां अवतार बताते हुए कहा है कि ' हम ही कबीर काशी में रहऊ'।
दरिया साहब ने अपने ग्रंथ दीपक ज्ञान में कबीर के पांच अवतारों का जिक्र किया है। वे लिखते हैं कि कबीर सतयुग में सुकृत नाम से राजा योग धीर के यहाँ अवतरित हुए। त्रेता युग में उन्हों ने धर्म सेनी के नाम से जन्म लिया। द्वापर में उनका अवतार मुनीन्द्र नाम से हुआ और कलयुग में वह कबीर नाम से धरती पर आए। मृत्यु के बाद कबीर ने ही दरिया नाम से जन्म लिया।

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