कुछ शब्द यूं ही लिख डाले थे मैंने
कुछ वाक्यों का लिखा जाना
बेहद जरूरी था
बहुत कुछ कह लेने के बाद भी
बाक़ी था, बहुत कुछ कहना
इसलिए ज़रूरी था कि लिखा जाए
दूसरा ख़त
पहले ख़त के
तुम तक
पहुँचने से पहले
दूसरे ख़त में लिखा मैंने
सबसे ख़ूबसूरत दिनों
और सबसे मुश्किल रातों के बारे में
चाँद से अपनी बातचीत
और उस सपने के बारे में
जिसमें नदी के किनारे
दौड़ रहे हैं हम साथ-साथ
मैंने बताया
तुम्हें
कि दुनिया हो गई है कितनी बदरंग
और कितना मुश्किल है
बचाना अपने प्यार को
आशा-आशंका
प्यार और मनुहार से भरा
दूसरा ख़त
पोस्ट बाक्स के हवाले करने के बाद
लौटने से पहले
पल भर
रुका मैं
ध्यान से देखा पोस्ट बॉक्स को
और एक तीसरा पत्र लिखने
की ज़रूरत
मैंने शिद्दत से महसूस की
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
बहुत अच्छा प्रयास बढ़िया
Post a Comment