Sunday, March 23, 2008
आन के दुआर क चिरई
शादी करके बीवी के साथ दिल्ली वापस आया तो जिंदगी कुछ बदली सी लगी। सुखद और सुविधाजनक। घर बिलकुल साफ-सुथरा चीजें सलीके से रखी हुईं। समय पर पानी चाय खाना। अटपटा सा लगता है इतना व्यवस्थित होना। इतने सलीके से रहने की अपनी आदत रही नहीं। जब चाहा खाया जहां गए वहीं सो रहे। मन किया तो शेविंग की या वैसे ही घूमते रहे। अब मेरी हर चीज पर किसी की नजर होती है। कई बार जो बातें मेरे लिए साधारण सी होती हैं वह पत्नी की नजर में महत्वपूर्ण। कई बार उसके साथ रहते या चलते हुए सोचता हूं वह मेरा इतना ध्यान क्यों रखती है जबकि साथ रहने के बावजूद कई बार वह मुझे अजनबी सी लगती है। क्या मैं उसे अजनबी जैसा नहीं लगता। जबकि शादी के बाद वह खुद भी बदल गई है। एक दिन उसने मुझसे कहा कि जब वह आईना देखती है कभी-कभी खुद को देखकर लगता है कि अरे यह कौन है। सिंदूर बिंदी और नथ ने उसका चेहरा ही बदल दिया है। उसने बताया कि शादी से पहले जब वह अपने गांव आयी थी तो लोगों के कहने पर उसे नाक छिदवाना पडा था।शादी के बाद भी तो बहुत कुछ बदला होगा उसकी जिंदगी में। पर वह अपनी खुशी से जयादा मेरी खुशी की चिंता करती है। और कभी-कभी खुद उदास नजर आती है। घर से दिल्ली आते समय मां ने हम दोनों को अलग-अलग बुलाकर कुछ बातें कहीं थीं। उससे क्या कहा मैं नहीं जानता लेकिन मुझे कहा कि- देखो इसे कभी डांटना मत। न तो इसके सामने किसी और पर गुससा होना। घर के कामों में मदद करना। अपने मां-बाप घर परिवार को छोडकर तुम्हारे साथ रहने आयी है इसको खुश रखना अब तुम्हारी जिममेदारी है। ई आन के दुआर क चिरई ह पोसात-पोसात पोसाई। मां की बातों पर अमल करने की कोशिश करता हूं। फिर भी वह कभी-कभी उदास हो जाती है। पूछता हूं क्या हुआ तो टाल जाती है पर उसकी आंखों की नमी सब कह जाती है। मां का कहना याद आ जाता है आन के दुआर क चिरई।
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5 comments:
ब्रजेश हमारा आशीर्वाद भी आप दोनो को ,जेसा आप ने लिखा वेसे ही एक दुसरे का ध्यान रखे यही प्यार हे.
बड़ी पीड़ा है ब्रजेश जी इस वाक्य में कि आन के दुआर क चिरई ह पोसात-पोसात पोसाई।
बहुत गहरी अनुभूति से निकली बात दिल में गहरे उतर जाती है। इसी तरह का असर आपकी बात का भी हुआ है।
Brajesh bhai pahle to aan ke duar ke chirai ko apna banane ke liye hum dono ki badhaai kaboolen.kab humse milwa rahen hain,aakhir maa ka man to maa ka hi hota hai par aapki chirai ko bhi kuch taakid kiya hoga uska khulasa kab karenge.
Brajesh bhai pahle to aan ke duar ke chirai ko apna banane ke liye hum dono ki badhaai kaboolen.kab humse milwa rahen hain,aakhir maa ka man to maa ka hi hota hai par aapki chirai ko bhi kuch taakid kiya hoga uska khulasa kab karenge.
SUDHA UPADHYAYA
ब्रजेशजी, नमस्कार.
आन के दुआर के चिरई, अब रउआ घर के चिरई हो गईल बा.. खयाल राखब. हमरो शुभकामना...
... हे कलयुग के राम तुम्हारी जय होवे...
प्रभाकर
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