जब मुंतजिर जैदी ने इराकी जनता और वहां की विधवाओं की ओर से बुश पर तान कर जूते फेंके तो वह क्षण एक इतिहास में बदल गया । जब कभी भी खुद को महामहिम समझने वाले किसी ताकतवर देश का मदांध शासक किसी कमजोर देश को अपने पैरों तले कुचलने की कोशिश करेगा उसे मुंतजिर के जूते सपने में जरुर नजर आएंगे । बुश पर जूता फेंकने की घटना पर चर्चित कवि राधेश्याम तिवारी ने अपनी कविता पढ़ने के लिए दी। यह कविता आप भी पढ़िए
लोग बेवजह शंकित हैं
कि टाटा चाय की तरह
बुश बहुत कड़क हैं
न जाने वे किस बात का बुरा मान जाएं
जबकि बुश किसी बात का बुरा नहीं मानते
इराकी पत्रकार
मंतदार अल जैदी के
जूते मारने का
बुरा नहीं माना उन्होंने
जैदी के दो जूते उन पर पड़े
एक इराकी जनता की ओर से
दूसरा वहां की विधवाओं की ओर से
अपनी ओर से तो अभी
बाकी ही है जूता मारना
बुश ने फिर भी
मुस्कराते हुए कहा-
इसे मैं बुरा नहीं मानता
यह स्वतंत्र समाज का संकेत है
बुश का समाज
बहुत पहले से स्वतंत्र हो चुका है
जिसका इस्तेमाल कर उनके देश ने
दुनियाभर में बम बरसाए हैं
और बेशुमार खून बहाया
अगर कोई उनकी स्वतंत्रता को बुरा
बुरा मानता है तो
इसमें बुश का क्या दोष
लेकिन बुरा मानकर भी
वे जैदी का क्या कर लेंगे
समय जो इतिहास में
दर्ज हो चुका है
उसे वे सद्दाम की तरह
फांसी पर तो चढ़ा नहीं सकते
और न ही फिलिस्तीनी जनता की तरह
उसे इतिहास के पन्नों से
दर-ब-दर कर सकते हैं
कुछ भी कर के वे उस समय को
कैसे भूल सकते हैं
जिस समय उन्हें जूते पड़े थे
बहुत करेंगे तो जैदी का
कीमा बनाकर
अपने प्यारे कुत्तों में बांट देंगे
मंदी के इस दौर में
उन्हें इसकी जरुरत भी है
लेकिन डर है कि इससे तो जैदी
और जिंदा हो जाएगा
और लोग समझने लगेंगे कि
बुश सचमुच बुरा मान गए
जिससे जैदी अपने मकसद में
कामयाब हो जाएगा
बुश यह जानते हैं
कि आतंक का विरोध करके मरना
आतंक सहकर जिंदा रहने से
अधिक कीमती है
इसलिए जूते मारने का वे
कभी बुरा नहीं मानेंगे
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4 comments:
nice poem
नमस्कार !! आप भी ब्लॉग पर हैं, देखकर ख़ुशी हुयी.
**********************************...नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है. आप सभी को सपरिवार नव-वर्ष पर हार्दिक शुभकामनायें !!
www.kkyadav.blogspot.com पर नव-वर्ष के स्वागत में कुछ भवभिव्यक्तियाँ हैं, आप भी शरीक हों तो ख़ुशी होगी.
kavita achchhi hai. aapne upman achchhe chune hain.
बहुत सुंदर लगी भाई आप की यह कविता.
धन्यवाद
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